रिपोर्ट / एयरटेल ने ऐप में सुरक्षा खामी की बात मानी, बग के कारण करोड़ों यूजर्स का डेटा खतरे में था
रिपोर्ट / एयरटेल ने ऐप में सुरक्षा खामी की बात मानी, बग के कारण करोड़ों यूजर्स का डेटा खतरे में था
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरटेल ऐप में बग का पता सिक्युरिटी रिसर्चर एहराज अहमद ने लगाया
- इस बग की वजह से उपभोक्ताओं के नाम, ईमेल, जन्मदिन और पता लीक हो सकता था
- एयरटेल ने तकनीकी समस्या दूर की, बग से कितने यूजर्स का डेटा लीक हुआ इसका खुलासा नहीं
Dainik Bhaskar
Dec 07, 2019, 06:22 PM IST
नई दिल्ली. देश की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी एयरटेल ने शनिवार को अपने ऐप में सुरक्षा खामी की बात स्वीकार की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरटेल ऐप के एप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (एपीआई) में बग का पता चला था। इससे हैकर्स यूजर्स के नंबरों के आधार पर उनकी निजी जानकारियां चोरी कर सकते थे। हालांकि, अभी डेटा के साथ छेड़छाड़ का कोई मामला सामने नहीं आया है। बग की वजह से करोड़ों यूजर्स के नाम, ईमेल, जन्मदिन और पता (एड्रेस) की जानकारी लीक होने का खतरा था।
एयरटेल के प्रवक्ता ने बताया कि ऐप में मौजूद बग की समस्या को सुलझा लिया गया है। कंपनी के डिजिटल प्लेटफॉर्म सुरक्षित हैं। उपभोक्ताओं की निजता कंपनी लिए सबसे अहम है। इसलिए हम उनकी सुरक्षा के लिए सबसे बेहतर समाधान लाते हैं।
कितने यूजर्स पर असर डाल सकता था बग?
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के मुताबिक, सितंबर 2019 तक एयरटेल के 32.50 करोड़ एक्टिव यूजर्स थे। भारत में वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो के बाद यह टेलीकॉम क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है। इसी साल अक्टूबर में लोकल सर्च सर्विस जस्टडायल के एपीआई में भी बग आ गया था। इसके चलते ऐप के 15 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक हुआ था।
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के मुताबिक, सितंबर 2019 तक एयरटेल के 32.50 करोड़ एक्टिव यूजर्स थे। भारत में वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो के बाद यह टेलीकॉम क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है। इसी साल अक्टूबर में लोकल सर्च सर्विस जस्टडायल के एपीआई में भी बग आ गया था। इसके चलते ऐप के 15 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक हुआ था।
भारत में डेटा सुरक्षा पर क्या है कानून?
भारत में फिलहाल डेटा की सुरक्षा पर कोई विशिष्ट कानून नहीं है। हालांकि, यूरोप के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) की तरह ही भारत सरकार ने पिछले साल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का ड्राफ्ट रखा था। इसमें डेटा इकट्ठा करने, उसे रखने के नियमों के साथ पेनल्टी और मुआवजे के प्रावधान भी थे। 4 दिसंबर को फेडरल कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी।
भारत में फिलहाल डेटा की सुरक्षा पर कोई विशिष्ट कानून नहीं है। हालांकि, यूरोप के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) की तरह ही भारत सरकार ने पिछले साल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का ड्राफ्ट रखा था। इसमें डेटा इकट्ठा करने, उसे रखने के नियमों के साथ पेनल्टी और मुआवजे के प्रावधान भी थे। 4 दिसंबर को फेडरल कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी थी।
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