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पोर्ट / दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर से सबसे ज्यादा 60 हजार मौतें भारत में, चीन दूसरे पायदान पर

पोर्ट / दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर से सबसे ज्यादा 60 हजार मौतें भारत में, चीन दूसरे पायदान पर

India has the highest number of deaths from cervical cancer at 60,000, China ranks second

  • लेंसेट जर्नल ने वार्षिक रिपोर्ट जारी की, सर्वाइकल कैंसर के सबसे ज्यादा मामले चीन में लेकिन सर्वाधिक मौतें भारत में दर्ज की गईं
  • सर्वाइकल कैंसर से 2018 में सर्वाधिक 1 लाख 60 हजार मामले चीन में सामने आए

Dainik Bhaskar

Dec 08, 2019, 10:12 AM IST
    हेल्थ डेस्क. दुनियाभर में सर्वाइकल (गर्भाशय का मुंह) कैंसर से सबसे ज्यादा भारतीय और चीनी जूझ रहे हैं। जर्नल लेंसेट ग्लोबल ने 2018 में कैंसर के मामले और इससे हुईं मौतों का आंकड़ा जारी किया है। इस वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में कैंसर से दुनिया में सबसे ज्यादा 60 हजार मौतें भारत में हुईं, लेकिन इसके सबसे ज्यादा 1 लाख 60 हजार मामले चीन में सामने आए। दुनियाभर में 2018 में सर्वाइकल कैंसर के कुल 5 लाख 70 हजार मामले सामने आए। इनमें एक तिहाई (35%) चीन और भारत से हैं।

    रिपोर्ट में 185 देशों के आंकड़े शामिल

    1. रिपोर्ट में 185 देशों के आंकड़ों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में सर्वाइकल कैंसर के कुल 5,70,000 मामलों में 3,11,000 मरीजों की मौत हुईं। भारत में 2018 में सर्वाइकल कैंसर के 97 हजार मामले सामने आए वहीं चीन में इससे 48,000 मौतें हुईं। 
    2. रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर के आंकड़े गांव और शहरी महिलाओं में अलग-अलग हैं। शहरी क्षेत्र के आंकड़ों कमी आई है, वहीं गांव में आंकड़े स्थिर हैं। सर्वाइकल कैंसर खासतौर पर मध्यम उम्र वर्ग की महिलाओं को जकड़ रहा है।
    3. कैंसर रोग विशेषज्ञ विनीत दत्ता के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर रोका जा सकता है अगर इसका समय पर पता लगा लिया जाए, लेकिन ऐसा जांच से ही संभव है। भारत में कैंसर की जांच को लेकर जागरूकता कम होने के कारण मामले बढ़ रहे हैं। 
    4. हालिया रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में महिलाओं की मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण गर्भाशय का कैंसर है। पहले पायदान पर ब्रेस्ट कैंसर है। इंडियन कैंसर रिसर्च कंसोर्टियम के सीईओ रवि मल्होत्रा कहते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में हर मिनट पर एक महिला को सर्वाइकल कैंसर हो रहा है। समय पर जांच न मिलना और जरूरी थैरेपी के अभाव मामले बढ़ रहे हैं।

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