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उन्नाव की पूरी कहानी / प्रेम प्रसंग, झूठी शादी, फिर गैंगरेप... जब पीड़ित ने इंसाफ के लिए आवाज उठाई, तो उसे जला दिया

उन्नाव की पूरी कहानी / प्रेम प्रसंग, झूठी शादी, फिर गैंगरेप... जब पीड़ित ने इंसाफ के लिए आवाज उठाई, तो उसे जला दिया

पीड़ित का परिवार गरीब है। कच्चे मकान में रहता है।पीड़ित का परिवार गरीब है। कच्चे मकान में रहता है।
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  • शनिवार रात को पुलिस सुरक्षा में पीड़ित का शव दिल्ली से उसके घर लाया गया
  • बीते गुरुवार को गैंगरेप के आरोपियों ने पीड़ित को जलाया, शुक्रवार रात दिल्ली के अस्पताल में दम तोड़ा
  • शनिवार सुबह से पीड़ित के गांव में नेताओं का जमावड़ा, तमाशबीनों की भीड़ जमा
  • पिता ने कहा- सब आ रहे पर मेरी बेटी अब नहीं आएगी, हत्यारों को फांसी दो या घर पर बम गिरा दो

रवि श्रीवास्तव

Dec 07, 2019, 09:43 PM IST
उन्नाव. प्रेम प्रसंग... झूठी शादी... फिर गैंगरेप और जब पीड़ित ने न्याय की आवाज मुखर की, तो उसे आग लगा दी। यह किसी फिल्म का क्लाइमेक्स नहीं, बल्कि उन्नाव दुष्कर्म पीड़ित की हकीकत है। दुष्कर्म पीड़ित की जिदंगी सामाजिक ताने-बाने और प्रेम प्रसंग में उलझकर रह गई। पिता कहते हैं- हम लोग लोहार हैं, वो लोग ब्राह्मण हैं। फिर गांव के प्रधान भी हैं। ऐसे में उन्हें हमसे संबंध रखना पसंद नहीं था। शिवम (आरोपी) ने मेरी बेटी को बेइज्जत किया और घरवालों के दबाव में अपनाया भी नहीं। शिवम की चाची भी बातों-बातों में कहती है कि दोनों परिवारों में जमीन-आसमान का अंतर है। कैसे कोई संबंध हो सकता है?
उन्नाव से करीब 50 किमी दूर बिहार थाना क्षेत्र में पड़ने वाले हिन्दूनगर गांव में शनिवार दिनभर लोगों का हुजूम था। 90% झुलसने के बाद दम तोड़ चुकी दुष्कर्म पीड़ित का शव शनिवार रात को दिल्ली से उसके गांव पहुंचा। गांव में घुसते ही पुलिस, मीडिया और नेताओं की दर्जनों गाड़ियां खड़ी दिखाई देती हैं। लगभग 100 मीटर दूर पीड़ित का फूस से ढंका हुआ मिट्टी का घर है। घर के बाहर 50 से ज्यादा पुलिस वाले खड़े हैं। अंदर एक-एक कर मीडिया वाले पीड़ित के पिता से  बात कर रहे हैं। पिता थके-थके से लग रहे हैं, फिर भी पानी पी-पीकर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे हैं। सिर पर आंचल डाले बहू उनसे कह रही है कि तबीयत खराब हो जाएगी आप कमरे में चल कर आराम कर लीजिए। पीड़ित के पिता कहते हैं- दो दिन से खाना-पीना हराम है। अब तो बेटी भी नहीं रही।
‘हत्यारों को फांसी दो नहीं तो हमारे घर पर बम फोड़ दो’
दैनिक भास्कर से बातचीत में पिता कहते हैं कि हमारे यहां अब नेता आ रहे हैं, मीडिया वाले आ रहे हैं, लेकिन नही आएगी तो सिर्फ मेरी बेटी। पिछले दो दिनों से मैं उसको टीवी और इंटरनेट पर देख रहा हूं। पिता कहते हैं कि या तो हत्यारों को फांसी दो या हैदराबाद की तरह उनका एनकाउंटर कर दो। ये सब न हो पाए, तो हमारे घर पर बम गिरा दो, जिससे हम ही खत्म हो जाएं। मेरे पास अब कोर्ट-कचहरी दौड़ने की ताकत नहीं बची।
प्रधान का समर्थक था पीड़ित का परिवार 
पीड़ित के पिता ने कहा, ''हम लोगों की कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी। हम पहले प्रधान के समर्थक ही थे। तन, मन, धन से उनके साथ रहते थे। उनके जरिए ही हमें कई योजनाओं का जल्दी फायदा भी मिला, लेकिन जब से यह मामला सामने आया, तब से संबंध खराब हुए। दबंग होने की वजह से प्रधान परिवार ने हमें दबाने की कोशिश की। मेरी बेटी और उसकी मां को मारा-पीटा भी। अब मेरी बेटी को जला दिया।''
प्रेम प्रसंग से शुरू हुआ मामला
पिता के मुताबिक, 2017 में शिवम का घर आना-जाना शुरू हुआ। गांव का लड़का होने के कारण किसी को उसके आने-जाने से कोई आपत्ति नहीं हुई। लेकिन, जब बेटी और उसके संबंधों के बारे में पता चला, तो शिवम के परिवार ने घर आकर दबंगई दिखाई। इसके बाद भी शिवम ने बेटी से संबंध खत्म नहीं किए। दिसंबर 2017 में वो मेरी बेटी को भगा ले गया। बाद में पता चला कि बेटी को रायबरेली लेकर गया है। उसने बेटी को गुमराह करने के लिए गलत कागजात बनवा कर शादी का झांसा दिया और उससे रेप करता रहा। परिवार के दबाव में करीब दो महीने बाद गांव लौटकर उसने मेरी बेटी से रिश्ता खत्म कर दिया। इस दौरान उसने मोबाइल से बेटी का वीडियो बना लिया था। बदनामी के कारण मेरी बेटी अपनी बुआ के यहां रायबरेली रहने चली गई। पिछले साल इसी दिसंबर में शिवम अपने रिश्तेदार शुभम के साथ रायबरेली पहुंचा और मंदिर में शादी का झांसा देकर उसे बुलाया। बेटी ने बताया था कि उसने वहां शादी तो नहीं की, लेकिन उसके साथ दोनों ने हथियार के दम पर दुष्कर्म किया।
धोखा मिलने के बाद संघर्ष शुरू हुआ
पिता ने बताया- जब धोखा मिला, तो बेटी ने मामला दर्ज करवाने के लिए भागदौड़ करनी शुरू की। हम थाने के चक्कर काटते रहे, लेकिन कोई मुकदमा नहीं दर्ज हुआ। फिर कोर्ट के आदेश पर मार्च 2019 में मुकदमा दर्ज हुआ। लड़कों की गिरफ्तारी के लिए पैरवी करते रहे, तब कहीं सितंबर में शिवम जेल गया, लेकिन समय से पहले उसे जमानत मिल गई। जमानत मिलते ही सबने मिलकर मेरी बेटी को मार दिया।
गांव में बाहरी लोगों की भीड़, स्थानीय लोगों ने चुप्पी साधी
पीड़ित के पड़ोंसियों ने मामले पर चुप्पी साध रखी है। मामला मीडिया में उछलने के बाद, आसपास के ग्रामीण पीड़ित के गांव पहुंच रहे हैं। बगल के गांव से आए लोग कहते हैं कि यहां कौन बोलेगा। सबको डर भी लगता है। आज मीडिया और पुलिस है, कल कोई नहीं रहेगा, तो फिर गरीब को कौन बचाएगा।
गांव के मुहाने पर ही बैठा है आरोपियों का परिवार
मीडिया और नेताओं की आती भीड़ देखकर सुबह से ही आरोपियों का परिवार गांव के मुहाने पर ही बैठा है। परिवार की महिलाएं लगातार रो रही हैं और मीडिया वालों से कह रही है कि हमारी बात भी चलाओ। शुभम की बहन ने बताया कि सब हमारा वीडियो बना रहे हैं, लेकिन कोई चैनल हमारी बात नहीं चला रहा। बहन का कहना है कि बुजुर्ग व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है। जबकि, उनकी तबीयत भी नहीं ठीक रहती। हमारे घर के बच्चे ऐसे नहीं हैं, जो कोई गंदा काम करें।
लड़की थाने के चक्कर लगाती रही
घटनास्थल से लगभग डेढ़ किमी दूर एक घर पर दो लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रधान सामाजिक और आर्थिक रूप से सम्पन्न है। इसमें दो राय नहीं है कि पीड़ित का उत्पीड़न हुआ। वह थाने के चक्कर लगाती रही, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। बिहार थाने की पुलिस का समर्पण भी प्रधान के घर की तरफ ज्यादा रहा है। हालांकि, घटना कैसे हुई, इस सवाल पर लोग कहते हैं कि प्रधान का एक लड़का जेल होकर आया है। गांव में कहते हैं कि जब कोई जेल होकर आ जाए, तो उसका डर खत्म हो जाता है। ऐसे में कुछ भी हो सकता है।

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